गोल मठ के सोलहवें महंतश्री १०८ श्री अजियतानंद भारतीजी महाराज के जीवनअंश-:
महंतजी जोधपुर के एक जाट परिवार मे अवर्तीण हुए थे।जन्म से ही पूर्व संस्कारवश त्याग और वैराग्य के प्रति आशक्त हो गए। इस कारण 10-11 वर्ष की अल्प आयु मे ही संन्यास ग्रहण कर लिया और बडे महंतजी के अनुग्रह मे ही इनकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई। अजियतानंद जी बहुत ही तीक्ष्ण और होनहार सन्यासी थे। अत: गुरूजी ने इन्हे उच्च अध्ययन के लिए काशी भेजा जहाँ सन्यास धर्म वैद,पुराण,आयुर्वेद एवम ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन कर कुशाग्र बुद्धि को प्राप्त किया और पुन: गुरू चरण आ गए। गुरूजी की आज्ञा से अजियतानंद जी ने आबू राज पर्वत पर योग साधना कर परम सिद्धीया प्राप्त की। एक बार महंत अजियतानंदजी गुरुजी के साथ हिंगलाज माता दर्शन को पधारे तो वापस आते समय कराची से ली रकम समाप्त हो गई तब बडे महंतजी ने अजियतानंदजी की परिक्षा लेने की सोची और कहाँ की अजियतानंद आप कही से भी रकम की व्यवस्था करो। वहाँ बहुत से महानुभाव थे जो एक आदेश पर पुज्य बडे महंतजी की झोली भर सकते थे लेकिन गुरूजी ने अजियतानंदजी की परिक्षा लेने के लिए उन्हे रकम लाने को कहाँ। अजियतानंद जी ने वहाँ किसी से भी रकम ना लेकर रात को सब सोने के बाद अपनी प