धनानी मठ की स्थापना और महंत
धनानी मठ की स्थापना 390 वर्ष पूर्व गोलमठ के पडशिष्य अर्थात उम्मेदाबाद गोलमठ के छठें महंतश्री पंडित रंगाभारतीजी महाराज के शिष्य नरोत्तम भारतीजी के शिष्य श्री कल्याणभारतीजी के शिष्य परम पूज्य नागा सन्यासी श्री रूपभारतीजी महाराज ने वि.सं. 1691 वैशाख सुदी ३ को थी। पूज्य नागा सन्यासी रूपभारतीजी महाराज ने धानसा के राठौड परिवार को अपने वचनों से अभिभूत करके धानसा के पश्चिम मे दो मील दूरी पर जंगल मे इस मठ की स्थापना की थी। मठ स्थापना के बाद आस-पास मे बस्तिया बस्ती गई और पूरा एक गाँव का रूप बन गया जिसे हम आज धनानी और धनानी मठ के नाम से जानते है। यहाँ श्री नागेश्वर महादेवजी का मंदिर है। मठ की स्थापना के साथ-साथ पूज्य नागा सन्यासी रूपभारतीजी महाराज ने एक केर का पेड लगाया जिस पर कहाँ जाता है आज भी उनके वचनों से 'रूद्राक्ष' लगते है यह अपने आप मे एक दिव्य चमत्कार है। यहाँ यह भी एक मान्यता है की बच्चो मे कूकर खाँसी होने पर नागा बावसी का नाम लेकर धूपिया करके रूद्राक्ष गले मे बांधने से आराम हो जाता है। पूज्य सन्यासी रूपभारतीजी महाराज ने जीवित समाधि ग्रहण की थी और नागाजी बावसी के ना