गोल मठ के संतो और शिष्यों द्वारा स्थापित मठ
गोल उम्मेदाबाद या यू कहे की गोल मठ परिवेश मे कालांतर समय मे 300-350 संत महात्माओ और उनके शिष्यों का डेरा था। जिन्होंने इस पर्यावरण मे विचरण कर धर्म की अलख जगाई थी। गोलमठ से निकले सिद्ध शिष्य, पौत्र शिष्य,पड़पौत्र शिष्य और संत-महात्माओ ने इस क्षेत्र मे अनोको मठ, मढ़ी एवं देव स्थानों की स्थापना की। संत और शिष्यों के नाम हम आपको आगे विस्तार से बताएँगे पर निम्न गांवो मे मठो की स्थापना जिन्हे गोल मठ की शाखा के रूप मे भी जाना जाता है उनमे वि.सं 1609 गाँव देलदरी, संवत 1653 मे देवाणदी (तोरणेश्वर महादेव), संवत 1691 मे धनानी मठ, संवत 1705 मे मांडवला मठ, संवत 1808 मे रायथल मठ, संवत 1818 मे रेवतडा मठ, संवत 1833 मे बाकरा मठ, ओवलोज, संवत 1841 मे सेवाडा मठ, संवत 1856 मे ऐलाना मठ, देसु भाकरी मठ और गुजरात मे जावाल,कुछावाड़ा एवं आलवाडा मे निम्न वि.सं.👆🏻 मे गोल मठ के महंतो के शिष्यों और पौत्र शिष्यों ने मठो की स्थापना की एवं सम्पूर्ण जोधपुर मारवाड दरबार मे अनोको स्थानों पर सिद्ध धूणीया जगाई एवं धर्म का प्रचार प्रचार किया।
#आपणों_उम्मेदाबाद #गोल_मठ
सभी सन् विक्रम संवत मे है और अब विक्रम संवत 2081 चल रहा है अर्थात ये बाते 400-500 वर्ष पुरानी है चूँकि गोल मठ 1000 वर्ष प्राचीन है जिसकी स्थापना वि.सं.1100 के समय हुई थी।
जानकारी अच्छी लगी होतो 👍🏻 जरूर करे। 🙂
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