जागीरदार ओपनाथ की गलती पर जोधपुर दरबार ने सनद जारी कर गोल मठ से माफ़ी मांगी।

गोल मठ मे घटे घटनाक्रम के बाद नागो की फौज पुनः जोधपुर दरबार पहुंची वहाँ फौज के महंत ने संपूर्ण घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी जोधपुर महाराजा मानसिंह जी को दी। तब महाराजा मानसिंहजी गोल मठ के सन्यासी महात्मागणो एवं महंतजी पर जागीरदार ओपनाथ द्वारा थोपे गए व्यर्थ के आरोपों का पश्चाताप करने लगे।
तत्पश्चात जोधपुर दरबार राजा मानसिंहजी ने गोल मठ के तत्कालीन महंतश्री सोमवार भारतीजी को जोधपुर दरबार मे आमंत्रित किया एवं एक घोड़ा व दूसाला भेंट कर क्षमायाचना की व जागीरदार ओपनाथ की गलती को लेकर माफ़ी मांगी एवं वि.सं. 1883 वैशाख वदी 14 को लिखित मे सनद(आधिकारिक आदेश) जारी करते हुए गोल मठ की परम्परागत मर्यादाओ को कायम रखने का आदेश दिया साथ ही संगमरमर का एक भव्य विशाल बाण बनाकर महंतजी की समाधि पर लगाने हेतु भेंट किया जो आज भी गोल मठ मे संरक्षित है। इस प्रकार जोधपुर महाराजा साहब ने जागीरदारान से आपसी झगड़ो को निपटाने मे महंतजी से काफ़ी सहयोग प्राप्त किया।

जय शिलेश्वर री सा!!
जय अन्नपूर्णाजी री सा!!

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